सुरक्षित काले मेरे बाल, बन्दर बोले मेरी लाल
ये सारा गेम कहानी का है जी। हम लोगोंको साइंस-डाटा कुछ समझ नहीं आता। हमको समझ आती है कहानियां। आप खुद क्या मानते हो? दूसरों को क्या मानते हो? ये सारा गेम इस पर डिपेंड करता है के आपने खुद की कहानी क्या बोली।
एक कहानी पारसी लोग सुनाते हैं — इरान पर बोहोत घातक हमला बोला गया और वहाँ से पारसी समाज के लोग किसी तरह बचते-बचाते हिन्दोस्तान तक आ गए। वहा का एक हिन्दू राजा था — जड़ी राणा । जब पारसियों ने उससे शरण मांगी तो उस राजा ने उन्हें भरा हुआ दूध का प्याला दिखाया। मानो जैसे इशारा कर रहा हो के इस प्याले की तरह हमारे यहाँ भी पहले से लोग भरे पड़ें है तुमको तो ले नहीं सकेंगे। एक पारसी बुज़ुर्ग ने उस में चीनी मिला दी मानो इशारे में कहा हो हमारे आने से दूध छलकेगा तो नहीं उसकी मिठास ज़रूर बढ़ेगी। इस कहानी में पारसी महान है।
और एक कहानी सुनाई जाती है हिन्दू राजा की तरफ से — एक दिन जड़ी राणा की शरण में पारसी आये और उन्होंने राजा से अपने दिव्य ज्योति के लिए जगह मांगी। इस दिव्य ज्योति की एक शर्त थी के उसके आसपास पचास किलोमीटर (लगभग) तक गैर धर्म के किसी भी व्यक्ति को आने की मनाई होगी। राजा ने कहा के मैं तुमको अपनी ज़मीन दूंगा। क्योंकि हिन्दू धर्म दूसरों को अपने धर्म के मार्ग चुनने की आज़ादी देता है। इस कहानी में हिन्दू महान है।
अंग्रेजों ने भी एक कहानी बतायी — हम दुनिया को सभ्य बनाने चले है।जैसे सारी दुनिया असभ्य ही है। हम भी दुनिया को पाठ पढ़ाने चले हैं।एक बात तो है हर कोई अपनी महानता की ही कहानी बतायेगा। पूरी कहानी कोई नहीं बताएगा, मै भी नहीं। ये लो जी, कहानी इधर ही ख़त्म।
अब आपकी मर्ज़ी है के आप पूरी कहानी ढूंढे या मेरी-लाल-मेरी-लाल करते हुए बन्दर बनें। वैसे ‘लाल मेरी’ करने का मन बना ही लिया हो तो इस धुन में करिए।
बोनस कहानी:
और एक कहानी ‘किस्सा-ए-संजन’ नाम की किताब से निकलती है — उसमें भी शुरुवात युद्ध वाली ही है पर उसमें राजा ने दूध के प्याले के अलावे भी कुछ हरक़तें की। उन्होंने कहा के अगर पारसियों को गुजरात में रहना होगा तो गुजरातियों की तरह रहना होगा, गुजरातियों की तरह बोलना होगा, गुजरातिओं की तरह खाना होगा, शादी भी गुजरातियों की तरह करनी होगी। पारसी इस बात को मान गए और वहाँ पे लगभग सात सौ साल तक बनें रहे। इसमें कोई महान नज़र नहीं आता। सब इंसान ही नज़र आते हैं।